Collector का नाम और कलेक्टर का पावर तो सभी लोग भले भांति जानते ही हैं, साथ ही यह भी जानते हैं कि कलेक्टर बनना कितना मुश्किल है। Collector भारत में सबसे बड़ा प्रशासनिक पद होता है जिसकी चयन प्रक्रिया काफी कठिन होती है, लेकिन क्या आपको Deputy Collector के बारे में जानकारी हैं कि डिप्टी कलेक्टर कैसे बनते हैं? डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है? डिप्टी कलेक्टर का क्या काम होता है? डिप्टी कलेक्टर के पास कौन-कौन से अधिकार होते हैं? तथा Deputy Collector कलेक्टर से किस प्रकार भिन्न है? ये सब हम आज के इस आर्टिकल में पूरी जानकारी के साथ विस्तार पूर्वक जानेंगे। इसके बाद आपको पता चल जाएगा कि deputy collector kaise bane?
वर्तमान समय में किसी भी राज्य को सही ढंग से चलाने के लिए उसमें विभिन्न प्रकार के विभाग बनाए जाते हैं। हर एक विभाग के तहत विभिन्न प्रकार के उपविभाग आते हैं। विभिन्न प्रकार की प्रशासनिक इकाइयां आती हैं, जो अपने अपने काम को बेहतर ढंग से करके एक राज्य को शांतिपूर्वक चलते हैं। इसमें प्रशासनिक तौर पर सबसे बड़ा पद collector का आता है उसके बाद डिप्टी कलेक्टर होता है, जो कलेक्टर की तरह अपने कर्तव्य का पालन करता है। बता दें कि deputy collector का पद भी काफी महत्वपूर्ण होता है जो अपने जिले के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कार्यकर्ता है और अपनी जिम्मेदारियां को निभाता हैं।
ये बात तो आप बाली भांति जानते ही होंगे, कि कलेक्टर किसी जिले का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी होता है, जिसे हम आसान भाषा में देखें तो collector ही किसी जिले का मुखिया होता है, जो उसे जिले के मालिक की तरह काम करता है और उसे जिले के हर एक कार्य तथा हर एक विभाग पर नजर बनाए रखना है और संचालित ढंग से काम करता है। Collector ही सरकारी योजनाओं को अलग-अलग विभाग के जरिए जनता तक पहुंच जाता है और जनता की परेशानियों को अलग अलग विभाग के जरिए तथा अलग-अलग परेशानियों को प्राप्त करके सरकार तक पहुंचाता है। यह काफी महत्वपूर्ण काम है इसीलिए किसी जिले में कलेक्टर के बाद दूसरे स्थान पर डिप्टी कलेक्टर का पद होता है इससे काम काफी आसान हो जाते हैं।
डिप्टी कलेक्टर क्या होता है? (Deputy Collector Kya Hota Hai) —
Deputy Collector (डिप्टी कलेक्टर) को शॉर्टकट में DC भी कहते हैं डिप्टी कलेक्टर किसी जिले के अंतर्गत प्रशासनिक सेवा का अधिकारी का कर्तव्य निभाता है, जो सबसे बड़े पद Collector के बाद आता है। डिप्टी कलेक्टर को हिंदी भाषा में उप-डिविजनल मजिस्ट्रेट कहते हैं। आमतौर पर लोग डिप्टी कलेक्टर को magistrate ही कहते हैं। मजिस्ट्रेट कलेक्टर के निर्देशन में काम करता है तथा कलेक्टर को काम में सहायता प्रदान करता है जिससे एक कलेक्टर का काम काफी आसान हो जाता है और बेहतर ढंग से कलेक्टर अपने जिले में हर एक व्यक्ति तक हर एक सुविधा बहुत जाता है।
कलेक्टर की तरह मजिस्ट्रेट भी जिला प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपने अधिकार क्षेत्र वाले जिले में कानून व्यवस्था को बनाए रखने की पूरी भूमिका निभाता है। हर संभव प्रयास करता है विभिन्न प्रकार की योजनाएं बनाता है विभिन्न प्रकार के नए-नए कार्य करवाता है। सुरक्षा का जायजा लेता है। शांति बनाए रखने की पूरी कोशिश करता है तथा लोगों की परेशानियां दूर करने का प्रयास करता है। इसके अलावा डिप्टी कलेक्टर बड़े पैमाने पर भूमि और राजस्व से जुड़े कार्यों को सुलझाता है। राजस्व कार्यो से जुड़ा लिखा जो के कलेक्टर को पहुंचना है और इस तरह के कार्यों को बेहतर ढंग से पूर्ण करवाता है।
Deputy Collector न केवल किसी जिले में कलेक्टर के बाद का पद संभालता है, बल्कि डिप्टी कलेक्टर को विभिन्न प्रकार की posting अलग-अलग विभागों में दी जाती है। ये सभी पद Deputy Collector की योग्यता पर निर्भर करते हैं। तथा समय-समय पर इन पदों में बदलाव भी किए जाते हैं। आमतौर पर डिप्टी कलेक्टर को किसी जिले में कलेक्टर के बाद सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के अलावा निम्नलिखित पदों पर नियुक्त किया जाता है —
- डिप्टी कलेक्टर
- लोकसभा चुनाव के दौरान सहायक निर्वाचन अधिकारी
- डिस्टिक सप्लाई ऑफीसर
- असिस्टेंट कमिश्नर
- रिवेन्यू कमिश्नर ऑफिस प्रेसिडेंट
- मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री के निजी सचिव
- उप जिला निर्वाचन अधिकारी
- विधानसभा चुनाव के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर
- अनुविभागीय अधिकारी
- जनपद पंचायत
- मंत्रालय में उप सचिव
डिप्टी कलेक्टर कैसे बनें? (Deputy Collector Kaise Bane)—
डिप्टी कलेक्टर बनना आसान भी नहीं है और कठिन भी नहीं है, तो अगर आप Deputy Collector बनने का सपना देख रहे हैं, तो यह आपके लिए साकार हो सकता है क्योंकि डिप्टी कलेक्टर बनना कलेक्टर के मुकाबले काफी आसान है। तो कलेक्टर नहीं बनने वाले अभ्यर्थी डिप्टी कलेक्टर के लिए आवेदन कर सकते हैं और लग्न तथा मेहनत से पढ़ाई करके आसानी से डिप्टी कलेक्टर बन सकते हैं। बता दें कि डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए PSC Exam देना होता है। इस परीक्षा के बाद कुछ Education Qualification की आवश्यकता होती है। इन एजुकेशन क्वालीफिकेशन को पूरा करने के बाद डिप्टी कलेक्टर बन सकते हैं।
Deputy Collector के लिए Qualification —
डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए कुछ योग्यता निर्धारित की गई है। इन योग्यता के आधार पर आप डिप्टी कलेक्टर हेतु आवेदन कर सकते हैं और निर्धारित की गई परीक्षा और क्वालिफिकेशन को पूरा करके डिप्टी कलेक्टर बन सकते हैं। बता दें कि वर्तमान समय में एक छोटे से छोटे पद के लिए भी योग्यताएं निर्धारित की जाती है, तो डिप्टी कलेक्टर बहुत बड़ा पद है। इसीलिए यहां कुछ विशेष योग्यता निर्धारित की गई है जो इस प्रकार है —
- डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए अभिव्यक्ति के पास पर्याप्त योग्यता का होना बहुत जरूरी है।
- अभ्यर्थी के पास किसी भी विषय में ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
- डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए PSC की परीक्षा देनी होती है।
- इस परीक्षा के लिए ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी है।
- डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए सही उम्र का होना बहुत जरूरी है।
- डिप्टी कलेक्टर पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों हेतु उम्र सीमा 21 वर्ष से 40 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है।
- डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए सबसे पहले Preliminary Exam देना होता है ये प्रारंभिक परीक्षा होती है।
- डिप्टी कलेक्टर के लिए आयोजित करवाई जा रही प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य ज्ञान से आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं।
- प्रारंभिक परीक्षा पूर्ण होने के बाद मुख्य परीक्षा आयोजित करवाई जाती है जिसे Mains Exam कहते हैं।
- Preliminary exam पास करने वाले उम्मीदवार ही मुख्य परीक्षा का हिस्सा बन सकते हैं यह परीक्षा किसी एक विषय पर आधारित होती है।
- मुख्य परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी को interview के लिए बुलाया जाता है।
- डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए आखिरी परीक्षा के तौर पर इंटरव्यू लिया जाता है। इंटरव्यू में भी पास होना जरूरी है।
- इंटरव्यू पास करने के बाद अभ्यर्थी को पोस्ट पर नियुक्त कर दिया जाता है।
- उम्मीदवार को डिप्टी कलेक्टर के रेंज का नंबर मिला है तो डिप्टी कलेक्टर बना दिया जाता है अन्यथा अलग-अलग विभाग में महत्वपूर्ण पद दे दिए जाते हैं।
Deputy Collector परीक्षा का Pattern —
डिप्टी कलेक्टर बनने की परीक्षा कलेक्टर के मुकाबले काफी आसान होती है। लेकिन इसे इतना हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह कलेक्टर के बाद दूसरी सबसे कठिन परीक्षा है। तो इस परीक्षा का एग्जाम पैटर्न जानने के बाद आप इस परीक्षा को आसानी से पास कर सकते हैं। बता दें कि डिप्टी कलेक्टर की मुख्य परीक्षा 3 घंटे की होती है तथा इसका प्रश्न पत्र 200 अंकों का होता है। इस परीक्षा में कुल 7 पेपर होते हैं। प्रत्येक पेपर 200 अंक और 3 घंटे का होता है, उसके बाद इंटरव्यू लिया जाता है। Interview 150 अंकों का होता है जिसमें Personality Test किया जाता है। इंटरव्यू में भी पास होना जरूरी है इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए।
Deputy Collector की पावर —
डिप्टी कलेक्टर का पद भी काफी महत्वपूर्ण और पावरफुल होता है। इसीलिए सरकार द्वारा Deputy Collector को भी विभिन्न प्रकार की विप सुविधा दी जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि डिप्टी कलेक्टर को सरकार की तरफ से एक बंगला दिया जाता है। जहां पर भी डिप्टी कलेक्टर नौकरी करता है, वहां पर उसे एक बंगला मिलता है। इसके अलावा एक सरकारी गाड़ी होती है उसमें गाड़ी का ड्राइवर भी होता है, इसके अलावा आने जाने के लिए मुख्य गाड़ी के अलावा दो और वहां उपलब्ध कराए जाते हैं। वहां के ऊपर ब्लू लाइट दी जाती है मेडिकल की सुविधा दी जाती है विभिन्न प्रकार के भत्ते दिए जाते हैं।
सरकारी सुरक्षा प्रदान की जाती है। Deputy Collector के बंगलो की सुरक्षा के लिए तीन होमगार्ड तैनात किए जाते हैं तथा सरकार की तरफ से व्यक्ति कलेक्टर को सुरक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दो अंगरक्षक भी उपलब्ध कराए जाते हैं। इन सभी सुविधाओं के अलावा dc अधिकारी को किसी भी प्रकार के बिल का भुगतान नहीं करना होता है, इन्हें लाइट, बिजली, पानी इत्यादि सभी फ्री में मिलता है। इसके अलावा स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं मिलती है। आजीवन पेंशन तथा सेवा निवृत्त लाभ भी उपलब्ध कराया जाता है। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक Deputy Collector का पद कितना महत्वपूर्ण और पावरफुल होता है और उसे कितनी सुरक्षाएं तथा सुविधा मिलती है।
डिप्टी कलेक्टर की सैलरी (Deputy Collector Salary In Hindi 2024)—
डिप्टी कलेक्टर का पद काफी पावरफुल और महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए डिप्टी कलेक्टर की सैलरी भी अच्छी होती है। सैलरी के अलावा डिप्टी कलेक्टर को विभिन्न प्रकार की सुविधा दी जाती है। विभिन्न प्रकार के सरकारी भत्ते तथा ग्रेड पे उपलब्ध कराए जाते हैं जिसे मिलकर डिप्टी कलेक्टर को एक अच्छी खासी सैलरी मिल जाती है। बता दें कि डिप्टी कलेक्टर के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के पद होते हैं। इसीलिए सभी पदों के लिए अलग-अलग सैलरी निर्धारित की गई है। इसके अलावा अनुभव तथा कार्य के आधार पर भी सैलरी निर्भर करती है। सभी तरह के भत्ते, सैलरी और ग्रेड पे को मिलाने के बाद एक Deputy Collector को सैलरी के रूप में हर महीने अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक आसानी से मिल जाते हैं।
डिप्टी कलेक्टर के कार्य —
Deputy Collector के अनेक सारे महत्वपूर्ण काम होते हैं। मुख्य तौर पर भूमि राजस्व मामले तथा प्रशासनिक कार्य को डिप्टी कलेक्टर मुख्य तौर पर मॉनिटर करता है और उसकी रिपोर्ट कलेक्टर के पास पहुंचना है। Deputy Collector राजस्व से जुड़े मामले को अपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत कार्य करता है। लोक परिषद अधिनियम के तहत सक्षम अधिकारी के रूप में काम करता है। सभी प्रकार के लाइसेंसों का नवीनीकरण करवाता है। विवाह अधिनियम, जुलूस, रैली, विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, निर्वाचन अधिकारी, विभाग संबंधी काम, सीमिक कल्याण, पुलिस स्टेशन से अपराध का रिकॉर्ड मंगवाना, मामलों की जांच करवाना, इत्यादि विभिन्न प्रकार के काम डिप्टी कलेक्टर द्वारा किए जाते हैं।
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Conclusion
डिप्टी कलेक्टर का पद Collector के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। इस पद पर पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। हालांकि Collector के मुकाबले यहां पर आसानी से पहुंच सकते हैं। डिप्टी कलेक्टर का काफी महत्वपूर्ण काम होता है जो अपने जिले के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के काम करता है। बता दें कि किसी एक जिले में 5 से 7 डिप्टी कलेक्टर हो सकते हैं। डिप्टी कलेक्टर कैसे बनते हैं? Deputy Collector के क्या काम होते हैं? deputy collector in Hindi इत्यादि पूरी जानकारी आज के इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार पूर्वक बता चुके हैं। तो हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न है? तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं।